Wednesday, December 9, 2009

ब्लॉग की दुनियां में पदार्पण

आज श्री मनोज कुमार जी के ब्लॉग पर उनकी कविता ओ कैटरपिलर पढ़ी।

ओ! कैटरपिलर नाम से शीर्षक के रूप में संबोधित कविता का काव्‍य-सौष्‍ठव वर्णनातीत है। सौंदर्यशास्त्रियों ने सौंदर्य रहित काया में भी सुंदरता की अनुपम छटा को अतुलनीय, अद्वितीय जैसे शब्‍दों से विभूषित किया है। सांगोपांग अध्‍ययन के पश्‍चात आपकी उक्‍त कविता में कैटरपिलर के ठहराव में जिस गति को आपने उदभाषित किया है, उसके अग्रसर होने की अभिव्‍यक्ति से पूर्ण सहमत हूं। इसके माध्‍यम से आपने एक कुशल कवि के रूप में कवि-कर्म किया है जिसमें शब्‍द के अर्थों की निष्‍पत्ति लालित्‍य के रूप में हुई है।
मानवेतर जीव के माध्‍यम से जिस मानसिक संकल्‍पना के आधार पर आपने इस उपेक्षित एवं प्रायः हाशिए पर रहे कैटरपिलर को श्रमजीवियों के दुःख दर्द एवं सामाजिक स्थिति को प्रतिमूर्ति के रूप में अभिव्‍यक्‍त किया है निश्‍चय ही वह प्रशंसनीय है। वर्तमान युग में बदलते सामाजिक संदर्भों को ध्‍यान में रखते हुए ‘कैटरपिलर’ मानव समाज के लिए जीवन को जीने के लिए संघर्ष की महत्ता को रेखांकित करता है। अंततः यह कविता ‘अरथ अमित अति आखर, थोरे’ के रूप में पाठक के समक्ष अपना वर्चस्‍व स्‍थापित करने में समर्थ सिद्ध हुई है।

इसने मुझे भी ब्लॉग की दुनियां में पदार्पण हेतु प्रेरित किया।

आपके आशीष एवं मार्गदर्शन प्रार्थनीय है।




आपका,
प्रेम सागर सिंह
95/1 काशीपुर रोड
कोलकाता – 700 002
दिनांक 09-12-09 मोबाइल नं0 – 9830358503

1 comment:

  1. आपका बहुत-बहुत आभार। ब्लॉग जगत में स्वागत।

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